सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ वेद नाम महिमा तव गाई। लाडली श्री राधे, किशोरी श्री राधे वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥ देवकी के कुमति निवार सुमति के सङ्गी ॥३॥ कञ्चन बरन बिराज सुबेसा । श्रावण सोमवार का चौथा सोमवार : जानिए आज के शुभ संयोग https://hindubhajan.in/diwali2024/